Sunday 5 August 2018

Chautha khambha : चौथा खम्भा

खरी खरी - 286 : मजबूत रहे प्रजातंत्र का चौथा खम्भा

     सोसल मीडिया में कुछ वरिष्ठ प्रखर पत्रकारों के बारे में कहा जा रहा कि उन्हें कुछ चैनलों ने उनके जॉब से हटा दिया गया है या उन्होंने स्तीफा दे दिया है क्योंकि ये लोग आजकल चैनलों से अदृश्य हो गए हैं । जन मानस समझता है के ये वरिष्ठ पत्रकार निष्पक्षता के पक्षधर हैं और सत्ता की त्रुटियों को उजागर करना ही पत्रकारों एवं मीडिया का प्रमुख काम होता है । जो सत्ता के गीत गाते हैं वे निष्पक्ष नहीं हो सकते । जिस प्रजातंत्र में प्रेस सत्ता के गीत गायेगी वह प्रजातंत्र अपना चतुर्थ स्तम्भ खो देता है । प्रेस के कारण ही सभी सरकारें काम करती हैं क्योंकि कर्तव्यनिष्ठ प्रेस सत्ता को आईना दिखाते रहती है । जिस भी दल की सरकार जहाँ होती है उसे यह अच्छा नहीं लगता और वह प्रेस को नकेल लगाने के निरंतर हथकंडे अपनाती है । प्रेस स्वतंत्र है या नहीं, अमुक चैनल किसके गीत गा रहा है, निष्पक्षता का अनुपालन हो रहा है या नहीं, यह सब हमेशा ही वाद-विवाद का विषय रहा है । राष्ट्रहित में आवाज उठाना मीडिया/प्रेस का मुख्य कर्तव्य है ।

      देश में जो भी उचित नहीं हो रहा उसकी चर्चा तो प्रेस ही करेगी क्योंकि प्रेस ही जनता की आवाज है । यदि ट्रेन समय पर नहीं चल रही, बच्चों को किताबें नहीं मिल रही, स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं, अनाज गोदाम के बाहर सड़ रहा, रेपिष्ट खुले आम घूम रहे, सड़कों में गड्ढे हो रहे, गंगा मैली रह गई , किसान आत्महत्या जारी , भीड़ किसी को मार रही, अंधविश्वास फल- फूल रहा, भूख से बच्चे मर रहे, उच्चतम न्यायालय के कई आदेशों का पालन नहीं हो रहा, लोकपाल नहीं बन सका, एन पी ए बढ़ते जा रहा आदि जनहित के सैकड़ों मुद्दों पर प्रेस /मीडिया द्वारा मुंह खोलना, लिखना या इसे चैनलों में दिखाना यह देश के हित में है । साथ ही यदि कुछ गलत या अपुष्ट केवल सनसनी फैलाने या TRP बढ़ाने के लिए किया जाता है तो उस पर भी रोक लागनी चाहिए जिसके लिए प्रेस के अपने कोड और प्रेस की अपनी गिल्ड भी है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.08.2019

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