Tuesday 19 February 2019

Ravidas : रविदास

मीठी मीठी - 240 : संत शिरोमणि रविदास जी का स्मरण

     भक्तिकाल ( 1375 - 1700 ई.) में कई संत हुए जिन्होंने अपने स्वर, सुर, संगीत, गीत, साहित्य और साधना से समाज में कई सुधार किए । उस दौर में समाज में आज की तुलना में अधिक विषमता और सामाजिक अन्याय था । इसी दौरान संत परम्परा के महान योगी संत रविदास जी ( जन्म 1398 और मृत्यु 1540 बनारस में ) का भी अवतरण हुआ । कुछ लोग उनका जन्म 1450 और मृत्यु 1520 ई. बताते हैं ।

      कवि, संत और समाज सुधारक रविदास जी दक्षिणा और दान पर आश्रित नहीं रहे । वे कर्मयोगी थे और जूता बनाकर आजीविका चलाते थे । उनके गुरु रामानंद जी भी एक महान समाज सुधारक थे । सिक्खों के ग्रन्थ 'गुरु ग्रन्थ साहब' में भी रविदास जी की वाणी है । रविदास जी ने समतामूलक, जाति रहित भाई चारे वाले  समाज की परिकल्पना की थी । 'मन सच्चा तो कठौती में गंगा ' उनके बारे में प्रसिद्ध कथन है । वे 'जाति पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई' विचार के समर्थक थे ।

     हर साल माघ पूर्णिमा को उनकी जयंती देशभर में मनाई जाती है । कल 19 फरवरी 2019 को उनकी जयंती देश भर में मनाई गई । उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक सौहार्द पूर्ण और भाई चारे से ओतप्रोत समाज बनाने का संकल्प हम कभी भी, किसी भी अवसर पर अवश्य कर सकते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.02.2019

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