Friday 1 February 2019

Maan se badhkar kaun? : मां से बढ़कर कौन ?

मीठी मीठी- 229 :"माँ से बढ़कर कौन ?"

         जागृति लीला मैमोरियल फाउंडेशन नोएडा द्वारा श्रीमती लीला जोशी की पुण्यतिथि पर 31 जनवरी 2019 को कैलाश हेल्थ विलेज सेक्टर 62 नोएडा उत्तरप्रदेश में राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन आयोजित किया गया । इस हिंदी काव्य सम्मेलन में स्थानीय कवियत्रियों के अलावा  दिल्ली से भी चार कवियों- सर्वश्री ललित केशवान, पूरन चन्द्र काण्डपाल, दिनेश ध्यानी और वीरेन्द्र जुयाल ने भी काव्य-पाठ किया । 

     संस्कार वैभव संस्था से जुड़ी हुई सुश्री मधु, ऋतु जैन, पूनम पाटिया, मैत्री मेहरोत्रा, मीना जैन, कुम्मु जोशी भटनागर सहित कई कवियत्रियों ने 'माँ' का विस्तृत वर्णन करते हुए कविताओं से वात्सल्य रस बरसाया । इस आयोजन के लिए सभी आगंतुकों ने दिवंगत लीला जोशी की पुत्री सुश्री कुम्मु जोशी भटनागर का साधुवाद किया ।सम्मेलन की अध्यक्षता यू एस एम पत्रिका के संपादक उमाशंकर मिश्र जी ने किया ।

       "माँ" की स्मृति में किये गए इस काव्य-पाठ सम्मेलन के लिए सु. कुम्मु जोशी भटनागर अनुकरणीय हैं औऱ साधुवाद की पात्र हैं क्योंकि उन्होंने अपनी माँ को याद करने के लिए काव्य की विधा को सर्वोत्तम समझा । ऐसे अवसरों पर अपने पितरों को काव्यांजलि देना ही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है । माँ के बारे में जितना कहा जाय वह कम है । कुछ छंद प्रस्तुत हैं -

स्नेह वात्सल्य ममता करुणा की
सबसे सुंदर सूरत तू,
त्याग तपस्या स्व-अर्पण की
जीती-जागती मूरत तू ।

जग सेवा में तत्पर माँ की
सेवा कहाँ कोई कर पाया,
जग से गई सिधार जिस दिन
त्याग स्मरण उसका आया ।

अंतिम क्षण तक थकी नहीं तू
सेवा जग की करती रही,
जग के उजियारे के खातिर
सदा दीप सी जलती रही ।

माँ के कर्ज से महीं में कोई
उऋण नहीं हो सकता है,
आँचल की उस अमृत बूंद का
मोल नहीं चुका सकता है ।

( मेरा हिंदी कविता संग्रह "स्मृति - लहर" की कविता 'माँ से बढ़कर कौन' से उधृत ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.02.2019

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