Monday 25 February 2019

Aarkshit koch mein bheed : आरक्षित कोच में भीड़

खरी खरी- 390 : आरक्षित रेल कोच में अन्य यात्री क्यों ?

     25 फरवरी 2019 को उत्तराखंड से वापस आते समय हल्द्वानी से उत्तराखंड सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस ( ट्रेन संख्या 15036, काठगोदाम से दिल्ली ) में अपनी आरक्षित सीट ( D-1, पूर्ण आरक्षित कोच ) में बैठकर प्रातः करीब 09.00 बजे यात्रा करने लगा । मुरादाबाद से इस कोच में बिना आरक्षण वाले लोगों की भीड़ घुसी जो कोच में सीटों के बीच की जगह औऱ टॉयलेट के बाहर बैठ गई । इस बात की जानकारी टिकट चैकर (कंडक्टर) को दी तो उसने रेल पुलिस की मदद से इस भीड़ को बाहर करने का आश्वासन दिया और चला गया । इसके बाद न कंडक्टर वापस आया, न पुलिस आई और न भीड़ को हटी । गाजियाबाद में कुछ भीड़ उत्तर गई तब कहीं कोच में टॉयलेट जाने का अब तक बंद रास्ता खुल सका ।


        आरक्षित टिकट लेकर यात्रा कर रहे यात्रियों को मिले इस त्रास के लिए जिम्मेदार कौन है ? भीड़ के कुछ लोगों ने तो यात्रियों को आँखें भी दिखाई । पता चला कि इस ट्रेन में प्रतिदिन ऐसा होता है । आज भी D-1 से D-10 तक के सभी दस कोचों का यही हाल था । समझ में नहीं आता कंडक्टर इस भीड़ को आरक्षित कोच में क्यों चढ़ने देते हैं ? लोगों का कहना है यह सब कंडक्टर और पुलिस की मिलीभगत से होता है जिसमें घूसतंत्र का भी हाथ होता है ।  रेल विभाग के उच्च अधिकारियों तक क्या कोई रेलवे की इस घूसतंत्र की कहानी को पहुंचा सकता है ताकि आरक्षित टिकट लेकर बैठे यात्रियों को इस त्रास- परेशानी से बचाया जा सके ?


पूरन चन्द्र काण्डपाल

26.02.2019


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