Sunday 26 April 2020

Andhshraddha ki samajh : अंधश्रद्धा की समझ

खरी खरी - 616 : अंधश्रद्धा की समझ

      अंधविश्वासियों ने हमेशा विज्ञान का लाभ तो लिया परन्तु लोगों को किसी न किसी तरह अंधविश्वास में जकड़े रखा । आज भी गंगा सहित देश की नदियों में अंधश्रद्धा से वशीभूत लोग  दूध बहा रहे हैं और जमकर धार्मिक विसर्जन कर रहे हैं । काश !  यह दूध नदियों और मूर्तियों में बहने के बजाय किसी कुपोषित बच्चे के मुंह में जाता तो देश से कुपोषण दूर होता और देश का IMR (शिशु मृत्यु दर) कम होती । भारतमाता को अंधविश्वास से मुक्त करके ही हम विश्वगुरु बन सकते हैं । विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है ।

      आज ( लॉकडाउन का 34/40वां दिन ) पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से दुखित है जहां 29.9 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और 2.06 लाख से अधिक लोग इस रोग के ग्रास बन चुके हैं । हमारा देश भी इस त्रासदी को झेल रहा है । देश में 27 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हैं और आठ सौ से अधिक इसके ग्रास बन चुके हैं । चिकित्सा वैज्ञानिक और अनगिनत हाथ सामूहिक रूप से इस रोग से लड़ रहे हैं । देश में कई तथाकथित धर्मगुरु ऐसी महामारी में इसका अंधविश्वास के तरीकों से उपचार बताते हैं । हम चाहे किसी भी धर्म या संप्रदाय के हों हमें केवल और केवल चिकित्सकों के ही निर्देश को मानते हुए लौकडाउन का सम्मान करना है और सोसल डिस्टैंस बनाए रखना है ।

     हमारे देश में टेलीविजन के सैकड़ों चैनलों में प्रतिदिन अंधविश्वास परोसा जाता है जिसके कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण को धक्का लगता है । समाज को आज भी शनि- राहु - केतु की डोर से उलझाये रखा गया है । हमें ऐसे तथाकथित गुरु - चेलों से बचना है जो सत्य स्वीकारने को तैयार  नहीं हैं । कहते हैं -

जाका गुरु भी अन्धत्वा, चेला निरा निरंध ।
अंध ही अंधा ठेलिया, दोऊं कूप पड़न्त ।।

    अंधश्रद्धा से वशीभूत लोग भारतमाता को कहां ले जाना चाहते हैं यह हमने समझना - सोचना है । भगवान तो प्रतीक के बतौर केवल एक बूंद दूध- जल की श्रद्धा से सन्तुष्ट हो जाते हैं फिर यह मूर्ति के ऊपर से होता हुआ दूध नाली में क्यों बह रहा है ? मंथन करेंगे तो उत्तर अवश्य मिलेगा । आपके द्वारा किसी कुपोषित बच्चे को दिया गया दूध हमारे देश को ताकत देगा और भारत का IMR सुधरेगा ।  जयहिन्द ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.04.2020

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