Sunday 10 November 2019

jhimaud :झिमौड़

ख़री खरी - 519 : झिमौड़

कवि सम्मेलन में कवि


झिमौड़ पर कविता सुणौ रौय,


विषय लै जरा अटपट


जरा गंभीर जौस लै हौय,


झिमौड़ा देखि डरण कि


खुलि बेर बात है रइ,


झिमौड़ा पूड़ पर कभैं लै 


खचक नि दीण कि बात है रइ ।

कवि कूं रौय, 'अरे कवियों 


झिमौड़ों है जरा बचि बेर रया,


गलती क साथ लै इनुकैं 


कभैं आंख झन देखाया,


झिमौड़ जब कैक 


पिछाड़ि पड़ि जानी,


पै यूं भरभरानै ऐ बेर


जोर क डंक मारि जानी ।

यतू में कुछ झिमौड़ 


कवि सम्मेलन में ऐ गाय,


कविता सुणौणियाँ क 


ख्वार में मंडरा फै गाय,


एक झिमौड़ ल पुछ


'क्यलै रै हमूं परै कविता ऐंछ तिकैं?


कतैं डंक मारौ त्यार गलाड़ में


जरा गालड़ दिखा धै मिकैं ।'

कवि बलाय, 'अरे झिमौड़ा


त्यार हात जोड़ि खुटां पड़नू,


आब बै झिमौड़ों क नाम लै नि ल्यू


कान पकड़ि माफि माँगनू,


झिमौड़ों कि एकता देखि


सब कवि चाइये रै गाय,


झिमौड़ों पर रटी कविता


थरथरानै उभतै भुलि गाय ।

कवियों हैं कूंण चानूं


अगर आपण भल चांछा,


ठीक -ठाक हँसि -खुशि


कवि सम्मेलन चलूण चांछा,


तो सम्मेलन में  झिमौड़ोंक 


नाम भुलिबेर लै झन लिया,


झिमौड़ अंगनार लै बनि जानी


पै हमू खबर निछी झन कया ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


11.11.2019


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