खरी खरी - 517 : गिच खोलणी चैनी
मसमसै बेर क्ये नि हुन
बेझिझक गिच खोलणी चैनी,
अटकि रौछ बाट में जो दव
हिम्मतल उकैं फोड़णी चैनी ।
अन्यार अन्यार कै बेर
उज्याव नि हुन,
बिन कर्म करिए
फल नि मिलन,
अन्यार में एक
मस्याव जगूणी चैनी ।
मसमसै..
जात - धरम पर जो
लडूं रईं हमुकैं,
झुठ वैद करि बेर
बहकूं रईं सबूं कैं,
यास हैवानों कैं भुड़ जास
चुटणी चैनी ।
मसमसै ...
गिरगिट जस रंग
जो बदलैं रईं जां तां,
मगरमच्छ क आंसू
टपकूं रईं यां वां,
इनुकैं बीच बाट में
घसोड़णी चैनी ।
मसमसै...
बिना किताब लेखिए
पुरस्कार मिलें रईं ,
लोग गिच -आंख -कान
बंद करि भै रईं ,
य जुगाड़ पर लै खुलि बेर
बात करणी चैनी ।
मसमसै बेर...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
09.11.2019
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