Saturday 23 November 2019

Gharwai ki bhakti :घरवाइकि भक्ति

खरी खरी - 524 : घरवाइकि भक्ति

कौसल्या केकई सुमित्रा
दसरथाक छी राणी तीन,
उं बारि बारि कै
बजूंछी दसरथ क बीन ।

अच्याल यूं तीनोंक रोल
घरवाइ एकलै निभै दीं,
कौसल्या सुमित्रा कम
केकई जरा ज्यादै
बनि बेर  दिखै दीं ।

जभणि क्वे मंथरा कि
नजर लै जालि घरवाइ पार,
समझो घर में चलक ऐगो
बिगड़ि गो घरबार ।

भ्यार भलेही सबूं हैं
बागै चार गुगौ,
घर आते ही भिजाई
बिराउ जास बनि जौ ।

घरवाइक सामणि फन फन
नि करो, मुनव कनौ,
खांहूँ नि लै बनै सकना
चहा तब लै बनौ ।

साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ
उ दगै बाजार जौ,
समान उ आफी ख़रीदलि
तुम झ्वल पकड़ि
पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.11.2019

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