Saturday 13 October 2018

Vandematrm : वंदेमातरम के हकदार

खरी खरी - 324  : वंदेमातरम के हकदार

      'वंदेमातरम' हमारा राष्ट्रीय गीत ही नहीं हमारी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है । यह किसी राजनैतिक दल विशेष का नारा भी नहीं है । इतिहास के पन्नों को देखें तो इस गीत ने हमारे देशवासियों में एक ऐसी बेमिसाल ताकत भरी जिसके सामने अंग्रेज थर्रा उठे । 1876 में जब बंकिम चंद्र चटर्जी ने इस गीत की रचना की तब से इस गीत को देश में गाया गया और राष्ट्रभक्ति का पुनर्जागरण हुआ । हिन्दू -मुस्लिम सहित सभी धर्मों के अनुयायी इस गीत को गाते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े ।


      अपनी संकीर्ण महत्वाकांक्षा के कारण जिन्ना ने धार्मिक भावना भड़काने के लिए इस्लाम का सहारा लेते हुए कुछ मुसलमानों से इस गीत का बहिष्कार करवाया । मुस्लिम कट्टरवाद आज भी इसका विरोध करता है जबकि इस गीत का शाब्दिक अर्थ है "मां तुझे नमन" या " मां तुझे सलाम ।" आजादी के 71 वर्षों बाद भी इस पर विरोध नहीं होना चाहिए और सभी देशवासियों को इसे निर्विवाद गाना दिखावे के लिए नहीं बल्कि पूर्ण आस्था के साथ गाना चाहिए ।


       कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने उन लोगों से सवाल पूछा है कि जो लोग  मुंह से तो 'वंदेमातरम' कहते हैं और धरती में जहां-तहां कूड़ा डालते हैं । क्या यह 'वंदेमातरम' का मजाक नहीं है ? देश में कूड़ा डाल कर 'वंदेमातरम' कहना ठीक नहीं है । हमें उनके शब्दों को समझना चाहिए और स्वच्छता अभियान में योगदान देना चाहिए तभी हम वास्तव में 'वन्देमातरम' कहने के हकदार हैं ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल 

14.10.2018


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