Friday 5 October 2018

Bhasha sansthaan : उत्तराखंड भाषा संस्थान

खरी खरी - 317 : उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून ???

       वर्ष 2012 में देहरादून स्थित उत्तराखंड भाषा संस्थान ने कुमाउनी-गढ़वाली भाषाओं के साहित्यकारों के दो सम्मेलन किये थे । उस दौरान संस्थान की निदेशक डॉ (श्रीमती) सविता मोहन थी । इस भाषा संस्थान का मुख्य उद्देश्य हमारी भाषाओं के साहित्य और साहित्यकारों का संरक्षण और संवर्धन करना था । उस दौरान कुछ साहित्यकारों को पुरस्कृत भी किया गया और कुछ साहित्यकारों को पुस्तक प्रकाशन सहयोग भी दिया गया । सम्मेलन के दौरान बतौर निशानी सभी साहित्यकारों को जूट का कंधे में लटकाने वाला एक-एक झोला भी दिया गया जिसे भाषा के कई कलमकारों ने अब भी संभाल कर रखा होगा ।

        2012 से अब 6 वर्ष बीत गए हैं । पता नहीं है कि वह भाषा संस्थान है भी कि नहीं ? होगा भी तो उत्तराखंड के बंजर पड़े जल घराटों की तरह बंजर हो गया होगा क्योंकि संस्थान द्वारा हमारी भाषा संबंधी कोई भी गतिविधि नहीं होती और न ही साहित्यकारों की कोई खूसखबर ली जाती है । एक समय था जब कत्यूरों और चंद राजाओं के जमाने में जो भाषा राजकाज की थी आज वही भाषा अपनी पहचान बनाये रखने के लिए तड़प रही है । 1994 जे राज्य आन्दोलन में अलग राज्य, राजधानी गैरसैण के साथ ही अपनी भाषा की मान्यता और इसे संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी थी । अब तो राज्य की बागडोर उत्तराखंड के नेताओं के हाथ में है फिर हमारे नेताओं ने गैरसैण और हमारी भाषा को क्यों भुला दिया ? अपने नेता-अपने लोग फिर यह अटकाने, लटकाने और भटकाने की बात क्यों ?

     वर्ष 2009 से लगातार अल्मोड़ा में कुमाउनी भाषा का सम्मेलन प्रतिवर्ष किया जाता है जहां से भाषा संबंधी अनेकानेक प्रस्ताव पारित कर उत्तराखंड सरकार के भाषा -संस्कृति मंत्रालय देहरादून को भेजा जाता है । इस सम्मेलन का आयोजन "पहरू'' कुमाउनी मासिक पत्रिका औऱ "कुमाउनी भाषा, साहित्य और संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी अल्मोड़ा के तत्वाधान में किया जाता है । कई बार तो सरकार के प्रतिनिधि भी इस सम्मेलन में सार्थक आश्वासन दे गए हैं । क्या उत्तराखंड सरकार इस बंजर पड़े "उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून" को पुनर्जीवित करेगी ?  सभी भाषा-प्रेमियों और साहित्यकारों से निवेदन है कि कृपया मिलकर जोर से धात (जोर से उद्घोष) तो लगाएं शायद हो वे जग जाएं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.10.2018

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