Friday 26 October 2018

Karwa chauth : करवा चौथ

खरी खरी -330 : करवाचौथ 

करवाचौथ व्रत!
सुहाग के लिए
पति के लिए
निर्जल निश्छल
आस्था अविरल ।

व्रत श्रद्धा के दीये
सब स्त्री के लिए
किसी पति ने कभी
शायद व्रत नहीं रखा
पत्नी के लिए ।

तुमने सभी धर्मग्रन्थ
वेद पुराण अनंत
श्रुति शास्त्र स्मृति
लिख डाले मेरे लिए
स्वयं को मुक्त किये ।

रीति रिवाज मान मर्यादा
कायदे क़ानून संस्कृति सभ्यता
शर्म हया नियम परम्परा
सब का सिंकजा मेरे लिए धरा
स्त्री होने की यह निर्दयता  ।

चाह नहीं मेरी
तुम मेरे लिए व्रत करो
पर है एक छोटी सी चाह
तुम जीवन संगीनी का
कभी न अपमान करो ।

स्मरण है मुझे
मेरा पत्नी धर्म निश्छल
यही आशा-अपेक्षा
तुम्हें भी याद रहे
पति धर्म हर पल ।

मैं अपूर्ण तुम बिन
तुम्हारी अपूर्णता भी
बनी रहे मुझ बिन
मेरे स्वाभिमान पर
न आये आंच पल छिन ।

है जो तुमने मुझे
अपनाया तन मन से
समझा अर्धांगिनी ह्रदय से
तो चीज वस्तु कठपुतली
शब्द न फूटें मुख से ।

नहीं है प्रश्न मेरी
पूजा सम्मान सत्कार का
न किसी भवन दरबार का
बस सहचरी समझो मुझे
चाह नहीं धन अम्बार का ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल 
27.10.2018

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