Wednesday 3 October 2018

Gharwai k audar : घरवाइक ऑडर

मीठी मीठी - 165 :घरवाइक औडर

     घरवाइक औडर अच्यालै नि लागन, पैलिकै बटि लागते ऊँरौ । देखो ठुलिज ठुलबाज्यू हूँ के कूंरै -

ओ म्यर खसमा
त्ये भल सीप,
भान माजि हालीं
चुल लै लीप,
पन्यार जैबेर
पाणी लै डबोइ ल्या,
बाल्टी में घागरि छ
उ लै छपोइ ल्या ।

     अच्याला लौंड -मौडूँल ठुलबाज्यूक कदमों पर चलण चैंछ तबै बलालि तुमरि नखरू किसाण नजीक ऐ बेर ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.10.2018

No comments:

Post a Comment